डॉ सुस्मित कुमार ने पीएच.डी. पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी (संयुक्त राज्य अमेरिका) में की है। संयुक्त राज्य अमेरिका जाने से पहले, वह प्रतिष्ठित भारत प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में चुने गए थे और लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी (एलबीएसएनएए), मसूरी, भारत (अगस्त १९८५-मार्च १९८६) में भारत प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का प्रशिक्षण लिया था।

डॉ कुमार “इस्लाम के आधुनिकीकरण और एक बहु ध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण” (Booksurge, जनवरी २००८)  पुस्तक के लेखक हैं. यह पुस्तक मुस्लिम देशों में सामाजिक, राजनीतिक और धर्म के वातावरण के विश्लेषण पर आधारित हैं। इस पुस्तक में उन्होंने अपने १९९५ ग्लोबल टाइम्स, डेनमार्क मैगजीन में प्रकाशित एक लेख का विस्तार था। इस लेख में डॉ कुमार ने १९८० के दशक में अफगानिस्तान में अमेरिकी हस्तक्षेप के कारण इस्लामी आतंकवाद का विश्व अस्तर पर वृद्धि, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के इस्लामी देशों (सऊदी अरब सहित) में कट्टरपंथी मुसलमानों के सत्ता में आने की भविष्यवाणी की, और उन्होंने ये भी लिखा था की खलीफा प्रणाली का एक अस्थायी पुनरुद्धार भी हो सकता है। एक १९९६ लेख (ग्लोबल टाइम्स, डेनमार्क) में उन्होंने लिखा है, "अफगानिस्तान सोवियत यूनियन के लिए एक वाटरलू था, लेकिन यह अमेरिका के लिए एक फ्रेंकस्टीन (भस्मासुर) बन सकता है". इस्लामी आतंकवाद की दुनिया भर में मौजूदा वृद्धि सैमुअल हंटिंगटन के 'सभ्यताओं के टकराव (क्लेश ऑफ़ सिविलाइज़ेशनस)" सिद्धांत को नहीं साबित कर रहा है बल्कि इसके बजाय इस्लाम के आधुनिकीकरण के लिए एक हिंसक प्रस्तावना, और मानव सभ्यता के एकीकरण की ओर एक बड़ा कदम है।

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